Wednesday, December 7, 2016

Junbishen 776


Rubaiyan

है बात कोई गाड़ी यूँ चलती जाए ,
विज्ञान के युग में भी फिसलती जाए , 
ढ़ोती रहे सर पे , अवैज्ञानिक मिथ्या ,
पीढ़ी को लिए वहमों में ढलती जाए .

ہے بات کوئی گاڑی یوں چلتی جاۓ 
وگیان کے یگ میں بھی پھسلتی جاۓ 
ڈھوتی رہے سر پہ اویگیانک متھیا 
پیڑھی کو لئے وہموں میں ڈھلتی جے ٠ 



इक उम्र पे रुक जाए, जूँ बढ़ना क़द का,
कुछ लोगों में हश्र है, इसी तरह खिरद1 का,
मुजमिद2 खिरद को ढोते हैं सारी उम्र,
रहता है सदा पास मुसल्लत3 हद का.
1- बौधिक छमता 2-जमी हुई 3-थोपी हुई 

اک عمر میں روک جاۓ، جوں بڑھنا قد کا 
کچھ لوگوں میں حشر ہے ، اسی طرح خرد کا
منجمد خرد کو، ڈھوتے ہیں ساری عمر 
رہتا ہے صدا پاس، مسلّط حد کا 


कुछ रुक तो ज़माने को जगा दूं तो चलूँ,
मैं नींद के मारों को हिला दूं तो चलूँ,
ऐ मौत किसी मूज़ी को जप कर आजा,
सोई हुई उम्मत* को उठा दूं तो चलूँ.
*मुसलमानों  

کچھ رک تو، زمانے کو جگا دوں تو چلوں 
میں نیند کے ماروں کو، ہلا دوں تو چلوں 
ایے موت کسی موذی کو، جپ کر آ جا 
سوئی ہوئی امّت کو، جگا دوں تو چلوں ٠
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